आज के वचन पर आत्मचिंतन...

क्या आप नहाते वक्त गीत गाते है? आपके होठों पर कौनसे शब्द है? गीत गाना एक अध्भुत वरदान है! यह हमे ईश्वर की और से तोफा है ताकि हम अपने आनंद, उत्साह, दुःख,और विजय को व्यक्त कर सके। दूसरा की यह हमारे ओरसे ईश्वर को तोफा है,ताकी हमें ईश्वर के प्रति अपने आदर, सरहाना, प्रेम और आत्मविश्वास को संपर्क करने में सहायता मिल सके। तो आईये गीत गए, और जो ईश्वर ने किया है उसके लिए उसकी स्तुति करो, जो वह करने पैर है उसकी घोषणा करो, और जो वह वर्त्तमान में आपके जीवन में कर रहा है उसे औरो से बताएं।

मेरी प्रार्थना...

हे परमेश्वर पिता आप जो स्वर्ग में है, आपका नाम पवित्र है । कृपया मेरे ह्रदय पर और हमारे इस संसार में रहेने वालो के ह्रदय पर अपनी इच्छा पूरी कर, ताकि आपके पवित्र चरित्र का प्रतिबिभ और भी करीब से दिखाई दे। प्रिय प्रभु मैं आप पर अपने हेर रोज़ के आवश्यक भोजन के लिए भरोसा करता हूँ । मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ पवित्र पिता की जब भी मैं कड़वाहट और ग़ुस्से को व्यक्त करू उनके प्रति जो मुझे चोट पहुचते है । हे ईश्वर, मुझे समर्थ दे की मैं परीक्षाओ का और उस दुष्ट के धोको का सामना कर सकु ।कृपया मेरे जीवान को अपने अनुग्रह के प्रति एक महिमामय गवाही बनाइये। प्रार्थना यीशु के नाम से मांगता हूँ । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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