आज के वचन पर आत्मचिंतन...

आनंद के साथ, आओ आज हम प्रभुओ के प्रभु और राजाओ के राजा के लिए स्तुति करे और उचे स्वर से गाये। आओ आज उन छोटे क्षणों को खोजे, और उन को कैद करले,और उनका हमारे स्वर्गीय पिता को धयवाद और स्तुति देने के लिए उपगोय करे। जब हमे आशीष पाते है तो कुछ क्षण रुक कर स्तुति करे। हर भली बात में हमारे अनुग्रहकारी पिता के लिए स्तुति वचन कहे।

मेरी प्रार्थना...

प्रेमी और कोमल पिता, दया और सामर्थ के परमेश्वर, यह मेरे लिए बड़ा ही अतुल्य है की आपने मुझे आपको जानने का अवसर दिया,आप जो अध्भुत और पवित्र रचयिता है। आप तो कितने दयालु है की आप मेरी सुनते है, आपकी रचना में से एक की। आपकी दयाने मुझे बचाया है; मैं आपकी स्तुति करुगा! आपके प्रेम ने मुझे दोबारा निर्माण किया है; मैं आपका धन्यवाद् करूँगा। आपकी समर्थ से मुझे बदलने की शक्ति मिली; मैं आपको सरहाता हूँ।आप अध्भुत है, प्रिय पिता, और मैं आपको दिल से प्रेम करता हूँ। मैं यीशु के नामसे आपकी स्तुति करता हूँ जो आपका महान तोफा है । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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