आज के वचन पर आत्मचिंतन...

"मेरे विश्वास को बड़ाईयें, हे प्रभु।" "मेरे बल को बढ़ा।" "मेरे बुद्धि को बढ़ा।" हम ज्यादातर इन बातों की प्रार्थना करते हैं, परन्तु कब आंखरी बार आपने परमेश्वर को अपने बढ़ते प्रेम के लिए धन्यवाद दिया ? " जो प्रेम हर एक के अंदर में हैं बढ़ रहा हैं!" क्या आप इससे अधिक उत्साहित करने वाली बात कहने के विषय में सोच सकते हैं जो आप अपने चर्च के विषय में कह सकते । आइयें ऐसे बनाने के लिए हम प्रार्थना और कार्य करे!

मेरी प्रार्थना...

पवित्र परमेश्वर, होने दे की तेरे प्रेम से मैं इतना भरजाऊँ की हर एक दिन जिनसे भी मैं मीलू उनके साथ पूर्णतः प्रेम बाट सकूं । होने दे की यह प्रेम बड़े और उन्नत हो की दूसरे इसके लाभ को देखने और पहचानने के लिए तैयार हो सके की यह सीधी प्रतिक्रिया हैं उस उदार प्रेम के प्रति जो आपने मेरे साथ बाटा । अपनी आत्मा की समर्थ के द्वारा, मेरे प्रेम को बढ़ने में मददत कर! येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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