आज के वचन पर आत्मचिंतन...

हम गाते है की “ओ में कितना यीशु से प्यार करता हूँ!”. यीशु हमें जवाब देता है की हम कैसे हमारे भाइयो और बहेनो से प्यार करते है. येदी हम हमारे आस-पास के लोगो से प्यार नहीं कर सकते है तो हम परमेश्वर से प्यार कैसे कर सकते है.

मेरी प्रार्थना...

प्रिय पिता मुझे क्षमा कीजिये ,उस समयो के लिए जब मेरे दिल में संकीर्ण-हृदय के लिए या जिसको मेरी दया चाहिए उनको क्षमा न करने के लिए मुझे क्षमा कीजिये.मैंने पहचाना है कि जब में मसीह में मेरे भाइयो और बहेनो के प्रति अप्रेमी रहता हूँ, तो मै आप से भी अप्रेमी हूँ. कृपया मुझे आशीष कीजिये जैसे में कुछ मसीही संबंधो को मेल-मिलाप कराता हूँ जो हल ही में ठीक नहीं गया. ये सुधरी हुई दोस्तियाँ आपकी महिमा लाने के लिए और कलिश्या में बड़ी जीवन-शक्ति लाने के लिए सहायता कीजिये.यीशु के नाम से प्रार्थना मांगता हूँ. अमिन.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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