आज के वचन पर आत्मचिंतन...

मूल सन्देश — एक दूसरे से प्रेम करो। स्थाई सन्देश — एक दूसरे से प्रेम करो। सर्वाधिक कायल करनेवाला सन्देश — एक दूसरे से प्रेम करो। सर्वाधिक कठिन सन्देश — एक दूसरे से प्रेम करो। छोटे वचन मुझे स्मरण एते हैं : की उन संतों के साथ उप्पर वास करेंगे जिनसे हम प्रेम करते हैं, ओह! क्या महिमा होगीं वो। परन्तु यहाँ नीचे संतों के साथ रहना जिन्हे हम जानते हैं, अब वह एक दूसरी कहानी हैं। पर यह वह कहानी हैं जिसे लिखने के लिए हमे बुलाया गया हैं की हम अपने जीवन से लिखें ! यह परमेश्वर का स्थाई सन्देश हैं जो वह चाहता हैं की उसके बच्चें प्रदर्शित करे। आओं बाहर जाये और इसे जिए।

मेरी प्रार्थना...

प्रेमी पिता, मैं खुद को समर्पित करता हूँ की मैं चाहे कुछ करू या कहूं उसमे जानकर अपने प्रेम को आपके बच्चों को दिखाऊंगा । ये सब मैं आपके अनुग्रह पर भरोसा कर के कर पाऊंगा जो मुझे सामर्थ देंगीं की जो मैं अपने से करता उससे अधिक करूँ। येशु के द्वारा जो मेरे उधारकर्ता हैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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