आज के वचन पर आत्मचिंतन...

लगभग हर चेले के जीवन में, अकेलेपन और संदेह का ऐसा एक समय आता है। ऐसा महसूस होता है मानो हमारी प्रार्थना छत से टकराती है और टूटकर हमारे पैरो पर गिरजाति है। लगता मनो परमेश्वर हमारी दया और मदत की बिनतियों के प्रति जैसे दूर, छिपा हुआ, सोया हुआ या बेदर्द है। परमेश्वर के लिए धन्यवाद् की वो हमे भजन देता है। इन भजनो में हम जीवन में होने वाले उतार-चढाव के लिए वचन पते है। जब हम उदास होते यह जानकर अच्छा लगता है की दूसरे भी हमसे पहले उस जगह पर थे और उन्होंने अपने विश्वास और महत्वता को पुनर्स्थापित किया। लेकिन कुछ ऐसे भी क्षण आते है जीवन में जब हमे परमेश्वर के प्रेम और अगवाई की याद दिलाने की जरुरत होती है। यह भजन और यह वचन ऐसे ही क्षणों के लिए है। यदि यह बिनती से आप संबंधित नहीं हो तो इन वचनों को किस और पर प्रार्थना कर दे। पर दूसरी ओर यदि यह वचन आपसे बात करते है तो इन्हें अपने ऊपर प्रार्थना करे!

मेरी प्रार्थना...

प्रिय पिता, कृपया अपनी उपस्तिथि को मेरे जीवन में अविवादित रूप से ज्ञात करा और अपनी उपस्तिथि और दया स्पष्ट रीती से देखने में मेरी मदत कर। मैं आपका आदर करना चाहता हूँ, प्रिय परमेश्वर, पर अपने अगवाई स्पष्ट कर ताकि मैं दृढ़ता से और विश्वासयोग्यता से तेरी इच्छा में तेरे पीछे चालू। यीशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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