आज के वचन पर आत्मचिंतन...

"येशु, कुछ तो हैं इस नाम के विषय में!" गीत के बोल सच हैं। मुक्ति जो हमारे इस संसार में समेंटा और टूटता हुआ है और किसी से नहीं पाया जा सकता हैं। वह हमारा मुक्तिदाता है क्युकी वो इस संसार में आने के लिए, हमारी शर्मिन्दिगी की और पापों की हदों को सहने के लिए और उनके उप्पर जय पाने के लिए तैयार था।

मेरी प्रार्थना...

येशु नासरी के पवित्र नाम के द्वारा, जो मसीह, मेरा प्रभु हैं, मैं धन्यवाद देता हूँ और आपकी स्तुति करता हूँ सर्वोच्च परमेश्वर । आपके प्रेम ने मेरे पापों के लिए त्याग दिया हैं और आपके सामर्थने मुझे मरे हुओं में से पुनुरुत्थान का आश्वासन दिया हैं। मेरे साथ जीवनकाल बिताने की आपके पुत्र की इच्छुकता ने मुझे एक महान महायाजक दिया हैं जो मेरे संघर्षों के प्रति सहानभूति के साथ मध्यस्थता करता हैं। उसके उद्धरण से मुझे आपके महान प्रेम का जाणीव होता हैं। धन्यवाद हे परमेश्वर! धन्यवाद इतना अनुग्रहकारी होने के लिए और मुझे इतना अद्भुत मुक्तिदाता देने के लिए। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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