आज के वचन पर आत्मचिंतन...

मुझे आज भी याद है जब मेरे बच्चे छोटे थे मैं उनके कमरे में चुपकेसे से घुस कर उन्हें सोते हुए देखता था । कई बार इसलिए की उनपर नज़र रख सकू, जब वे बीमार होते थे । कई बार सिर्फ उनके पास बैठ कर प्रार्थना करने के लिए , जब प्रभु उनपर अपनी नज़र रख रहा होता था जब वे सोते होते मैं भी शामिल हो जाता। कई बार अपने आपको उसके अनुग्रह नहलाने के लिए और आश्चर्य करता परमेश्वर के प्रेम पर की उसने मुझे इतनी प्यारी आशीषे दी। आज भी जब की वे काफी बड़े हो गये है, मुझे आज भी पसंद है की उनपर नज़र रखना और प्रार्थना करना, अचम्भित हूँ पिता के दिए इतने अद्भुत बहुमल्य टोफो के लिए। यह जानना की मेरा अब्बा पिता भी मुझे इसी रीती से देखता है, लेकिन और महान ख़ुशी और आनंदसे, मैं बयां नहीं कर सकता ऐसे अचरजता से भरदेता है।

मेरी प्रार्थना...

अब मैं खुद को सोने के लिए लिटाता हूँ, और प्रर्थना करता हूँ की हे प्रभु आप मुझे सुरक्षित अपने प्रेमी देखभाल में रखोगे, की आप हमेशा मेरे साथ हो यह जान कर। धन्यवाद् आपके अनुग्रह और प्रेम के लिए और सबसे अधिक यीशुके लिए, जो आपसे मेरी हम परेशानी बताता है, और मुझे अहसास दिलाता है की आप हमेशा मेरे साथ है। येशु के नामसे प्रर्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ