आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यीशु ने अपने जीवन और मृत्यु से आदर्श का उदाहरण दिया था।प्यार में छुटकारा और जीवन को बदलने की सामर्थ होती है।जब कई लोग प्रतिक्रिया नही करते है,और कई लोग करते है।हम अपने कामों में दयालु हो सकते है पर हमारे दिल में अपने दुश्मनों से प्यार करना आसान नहीं है,परमेश्वर की आत्मा हमें यीशु के प्रेम से भर सकता हैं और जो हमसे नफरत करते है उनकी उपस्थिति में शक्तिशाली अनुग्रह का जीवन जीने में मदद करता हैं।

मेरी प्रार्थना...

प्रिय परमेश्वर, मैं कबूल करता हुँ कि मैं अपने जीवन में कुछ लोगों से परेशान हुँ।वे मुझे निंदा करने,कमजोर बनने,छोटा करने,और हराने के लिये कृत-निश्चय करते है। कृपया मुझे चरित्र दिजीये उनके हमलों का विरोध करने के लिये मेरी मदद किजीये और एक तरीका दिजीये कि मै छुटकारे और धर्मी रूप में उनके कार्यों का जवाब दे सकू। छुटकारादेने वाला और महान यीशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ.अमीन.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ