आज के वचन पर आत्मचिंतन...

अक्सर हमारी चीन्ताये बहुत काठीन होती है क्यूकि हम उन्हें छोडने में इंकार करते है.आयीए हमारी बोझ परमेश्वर पर डालते है।हम जानबूझकर उनके हाथो में हमारा भविष्य देते हैं।हमारे चिंतीत डर को उनके देखभाल में देते है.हम जानते है कि वो हमसे प्यार करता है और हमे बचाने के कारण, जो उसने किया है उसके वजह से वो हमे बनाये रखेंगे और आराम देंगे.

मेरी प्रार्थना...

पवित्र परमेश्वर और प्यारे पिता,मे जानबूझकर मेरे डर को, चिंताओ को, कठ्नायीयो को, और बोझ को आपके हाथो में सोफ्ता हुंँ.मुझे पता है कि इन सारे घटनाओ के प्रतिफलो को बदलने के लिये मुझमें बहुत कम सामर्थ है,और मै विश्वास करता हूँ कि आपको जो प्रसन्न होता है उसे किजीये, मेरे लिये श्रेष्ठ उन सारी परिस्थितीयो से.मेरे घबरहाट सोच के लिये मुझे क्षमा किजीये,और मेरी खुद की चिंता एक मूर्ती बनकर आपके उपर के विश्वास को ना चुराये.आपके सामर्थ और उपस्थिती के द्वारा मुझे बल और सामर्थ दिजीये. यीशु के नाम से प्रार्थना मंगता हूँ. अमीन.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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