आज के वचन पर आत्मचिंतन...

इस भजन में से जो निराशा से शुरू होता है , हम विश्वास के उत्कर्ष को पते है । जब वस्तुस्तिथि उजाड़ दिखती है, परमेश्वर अपने बच्चो को नहीं त्यागता । जो परमेश्वर को आदर देते है वे कभी भी भुलाये नहीं जाते । अपने बच्चो को नजरअंदाज करने से परे, परमेश्वर ने अपनी भलाई उनके लिए राखी है और उन पर उद्दारता से उनडेलेगा की वे जान जाये की वे उसके है । जो उसमे पन्हा लेते है वे सुरक्षित और आशीषित होते है । जो येशु के पुनुरुथान के इस ओर है , यह आशीष ओर समर्थन निक्षितता में ओर अधिक गहराई के मायने लाते है!

मेरी प्रार्थना...

हे प्रभु , अब्राहिम , मूसा , रूत , दाऊद और एस्तर के परमेशर , मै सदियों से आपकी सिद्ध विश्वासयोग्यता के लिए आपकी स्तुति करता हूँ । मै आपके विश्वास की महान धरोहर के लिए धन्यवादी हूँ जो मुझे दिखता है की मै आप पर भरोसा कर सकता हूँ की अपने अनुग्रह से मुझे याद रखोगे, अपने बल से समर्थ से मुझे संभालोगे ओर अपनी भलाई से मुझे आशीषित करोगे । कृपया मुझे हियाव दे की मै सभी परीक्षाओ ओर अभिलाषाओं में जिनका चाहे मै सामना करू मै अपने विश्वास में बने रह सकू । येशु की नाम से प्रार्थना करता हूँ ओर अपना भरोसा तुझ पर रखता हूँ । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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