आज के वचन पर आत्मचिंतन...

परमेश्वर सब अनुग्रह का परमेश्वर है! (१ पतरस ५:१० ) वह हमे देने के लिए , आशीषित करने के लिए और सामर्थी बनाने के लिए हमे प्रेम करता है । परमेश्वर का इन तीन बातो को करने का एक चुना हुआ तरीका है हमारे द्वारा: वह चाहता है की हम उसके आशीष के जरिया बने। तोड़ो के उस दृष्टांत में जैसे वे विश्वासयोग्य दास थे (मत्ती २५ ), जो कार्य निगरानी के लिए हमे सौंपा गया हो और हम जब उसे उदारता से और ईमानदारी से करने में विश्वासयोग्य हो , तो वह हमे और अधिक से आशीषित करता है की हम उसे इस्तेमाल करे दुसरो को मद्दत करने में और उसे महिमा देने में । जब हम देते है , बाटते है और आशीष करते है, परमेश्वर हमे और अधिक उपाय करता है हमारी सोच के परे ! (२ कुरु ९:६-११ और इफी ३:२०-२१ देखे )

मेरी प्रार्थना...

पिता, मेरे हृदय को खोल और मुझे अधिक उद्दार मनुष्य बनने में मद्दत कर।जो अधिक आषीषे और संसाधन मुझे अपने सुपुर्द किआ है उसे मै औरो को आशीषित करने में और आपको महिमा देने में उपयोग करना चाहता हूँ । कृपया मुझे हियाव दे की मै आपकी सेवा में जो निडर और असाधारण तरीके अपने मुझे दिए है करने में भयभीत न होऊ।मै जानता हूँ की जब मेरा हृदय शुद्ध होगा और मै आपके अनुग्रह में सहभागी होऊंगा , मै कभी भी आपको छोड़ पाउँगा ! येशु के नाम से मै आपका धन्यवाद करता हूँ । अमिन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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