आज के वचन पर आत्मचिंतन...

कई सरे हृदय, आशा, और घर पाप से टूट गए है । यह टुटापन हमारी संस्कृति को प्रभावित करता है और हमारे जीवनो में घुस जाता है । परमेश्वर ने दोनों उपाय किया है पाप से बसाहव और उससे होने वाले दोषभावना से क्षमा के तरीके : हमारे पापों का ईमानदार और असल अंगीकार । अंगीकार के हृदय में एक जूनून है पाप को उस रीती से देखने का जैसे परमेश्वर की दृष्टी में है और हमारे उसमे भाग के प्रति दुखी होते है । कोई अचम्भा नहीं की अंगीकार इतना चंगाई देय है ( १ यहुन्ना १: ५ — २:२ ) । निःसंदेह परमेश्वर कहते है की हम आपस में अपने पापों को मान कर फिर उसके पास आए की हम अपने पापों से चंगाई प्राप्त करे और उससे हुए नुक्सान से। निःसंदेह परमेश्वर धर्मी व्यक्ति की प्रार्थना में इतनी समर्थ देता है की उसके मध्यस्ता की प्रार्थना दूसरे को अपने पापों को अंगीकार करने के लिए अगुवाई करता है । आओ अपने पापों को मान ले और उसे पीछे छोड़ दे।

मेरी प्रार्थना...

हे प्यारे पिता, पवित्रता और अनुग्रह के परमेश्वर , कृपया मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा करो... ( विस्तार से उन पापों की सूचि बनाये जिन्हे परमेश्वर के आगे मानना है ) । कृपया मेरी अगुवाई कर प्रिय पिता अपने बच्चो के ऐसे समूह के पास जिनके आगे मैं अपने पापों के बोझ रख कर सकू अंगीकार के द्वारा और यह जानते हुए की वे मेरे क्षमा के लिए प्रार्थना करे और तेरे अनुग्रह के समर्थ के महान आत्मविश्वास में और मेरे जीवन में पापों से विजयी होने में तेरे आत्मा की शक्ति से सहायता में मेरी अगुवाई करे । येशु के नाम से। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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