आज के वचन पर आत्मचिंतन...

परमेश्वर ....निकट!....प्रस्तुत !.....और करीब है! मैं कैसे जनता हूँ ? वह चरनी में करीब आया । सेवकाई में वह हमारे बिच चला। हमारे साथ और हमारे लिए उसने कलवारी दुःख सहा । हम जानते है की त्रासदी, परीक्षा, दिल टूटने पर, और टुटेपन में वह हमारे निकट होता है हमे बचाने के लिए। तो, क्या हमारे हृदय उसके के लिए खुले होंगे और क्या हम उसके निकट आने के लिए उसकी खोज करेंगे ? समस्याओं को और मनोव्यथा को कभी भी तुम्हे प्रभावित ना करने दो की तुम परमेश्वर से दूर जाओं या उसकी निकटता पर शक करो । उसे अपने करीब आने दो ।

मेरी प्रार्थना...

हे परमेश्वर, कृपया आज मेरे करीब रहो। अपनी उपस्तिथि को मेरे जीवन में ज्ञात काराओं। पिता मैं यह भी मांगता हूँ की आप उनको आशीषित करे जिन्हे मैं जनता हूँ और जो अपने विश्वास में संघर्ष कर रहे है और टूटे और निराश हृदये के साथ है। कृपया उनके जीवनो में सक्रिय हो जाओ और अपनी उपस्तिथी को उनके जीवनों में ज्ञात कराईये। येशु के नाम से। आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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