आज के वचन पर आत्मचिंतन...

हम जानते है की धर्मी को समस्यायें हो सकती है, पर परमेश्वर हमे उन सब में से छुड़ाता है यह हम कैसे समझे? हम कैसे समझे की वह हमारी सब हड्डियों की रक्षा करता है, विशेषकर के हल ही में हुई त्रासदियों और संसार भर में कई जगहों पर विश्वासियों पर हो रहे सताव की रोशनी में? पौलुस जवाब का नमूना देता है: चाहे जो खुश भी उसके साथ हो वह उसके छुटकारे के प्रीत होगा — चाहे वह उसके मौत के द्वारा परमेश्वर के साथ होने के लिए हो या फिर कैद से उसके छूट कर फिर सेवकाई को करने के द्वारा हो (फिलिपियों १:१९-२३) । हमारा छुटकारा सुरक्षित है। हम मसीह में जयवंत है । हमे परमेश्वर के प्रेम से अलग कर सके ऐसा कुछ भी शैतान हम पर नहीं कर सकता, मृत्यु भी नहीं (रोमो ८:३२-३९) ।

मेरी प्रार्थना...

पिता, मुझे विश्वास दीजिये, मुझे विश्वास करने की जरूरत है की चाहे जो कुछ भी हो जाये मेरे जीवन में वह मुझे आपके प्रेम से और मेरे लिए छुटकारे को चुरा नहीं सकता । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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