आज के वचन पर आत्मचिंतन...

" मुझे यकीं नहीं की उन्हें मैं अब और प्रेम कर सकता हूँ! मेरे प्रेम का स्रोत ख़त्म हो गया, प्रेम करने की मेरी क्षमता में मैं कमजोर हो गया हूँ ।" हाँ, ऐसे भी क्षण थे जब लगा की दूसरे मेरी प्रेम करने की क्षमता को कमजोर करदेंगे, या तो उनके महान बनने की उनकी आवश्यकता के कारन या तो बदले में उनके अनिच्छुकता के कारन । हम आगें कैसे बढ़ते है ? हमे प्रेमी समाज चाहिए ; दूसरे विश्वासी जो हमे सहायता और प्रेम करे। मसीह में हमारे भाइयों और बहनो का सहयोग चाहिए जो परमेश्वर से प्रार्थना करे की प्रेम करने की मेरी क्षमता को बढाए । हमे यह भरोसा रखने की आवश्यकता है की हमारे प्रार्थनाओं के प्रति उत्तर में, की परमेश्वर और अधिक प्रेम हमारे ह्रदय में उँडेले अपने अनुग्रह के हरदम बहने सोते के जरिये पवित्र आत्मा, रोमी (५:५ )जब प्रेम कम हो, हार नहीं माने और निराश ना हो । परमेश्वर के निकट आये और उसके लोगों के भी करीब आये की वे आपके जरुरत के समय उसके अनुग्रह की मद्दत के लिए (इब्रानियों ४:१६ )।

मेरी प्रार्थना...

प्रिय पिता, अपने प्रेम को मेरे हृदय में अनुग्रह से डालीये और उनके जो मेरे परिवार के और कलीसियाई परिवार के लोगों के ह्रदय में । हमे आपकी सहायता की जरुरत है की हमारे आस पास के लोगों को और अधिक प्रेम कर सके। येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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