आज के वचन पर आत्मचिंतन...

हम प्रभु के हैं । उसने हमे पाप और मृत्यु बंधन में से मोल लिया । और हमने खुद अपने जीवन को उसके हांथों में सौपा हैं । चाहे जो हम करे या चाहे जहाँ कहीं भी जाये, उसका अनुग्रह हमारे साथ जाता है । उसने हमे कभी नहीं छोड़ने का वादा किया है । उसने हमे निश्चिंतता दिलाई है की कुछ भी हमे उसके प्रेम से अलग नहीं कर सकता । तो आइये उत्साहित सहयोगिता की भावना के साथ जीए, यह देखते हुए की परमेश्वर हमे कहाँ अगवाई करता है ।

मेरी प्रार्थना...

पिता, मुझे छुड़ाने के लिए अपने पुत्र को भेजने के लिए धन्यवाद। प्रभु यीशु, पृथ्वी पर आने, मेरे पापों की कीमत चुकाने, और पवित्र आत्मा को मुझ में अपनी उपस्थिति के लिए भेजने के लिए धन्यवाद। मेरे जीवन ले लो और इसे अपनी महिमा के लिए उपयोग करो। जीवन की सबसे खराब चुनौतियों का सामना करने में मेरा विश्वास विफल न हो। मैं प्रार्थना करता हूँ कि चाहे मैं जीवित रहूँ या मर जाऊँ, कि तुम मुझ में महिमा पाओ। यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ। अमिन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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