आज के वचन पर आत्मचिंतन...

इब्रानियों 11 बहुत पहले के विश्वास के महान नायकों की स्मरण दिलाता है। उनमें से कई ने बहुत जोखिम उठाया - कुछ ने अपने विश्वास के लिए अंतिम कीमत भी चुकाई। इस तरह की कठिनाई और उत्पीड़न के सामने वे एक मजबूत विश्वास में कैसे जी पाए? क्योंकि वे एक बेहतर जगह, एक बेहतर घर, एक बेहतर देश, एक बेहतर शहर - एक स्वर्गीय की तलाश में थे। परमेश्वर ने उनके लिए यह बेहतर जगह तैयार किया था । वह उनका परमेश्वर कहलाने में गर्व महसूस करते, और उनका उस बेहतर जगह पर स्वागत करते हैं। और यह बेहतर जगह, यह बेहतर देश, हमें विश्वास के लोगों के रूप में भी वायदा किया जाता है| यीशु ने हमसे वायदा किया कि वह हमारे स्वर्गीय घर पर हमारे आगमन की तैयारी कर रहा है और वह वापस आकर हमें वहाँ ले जाएगा जहाँ वह है (यूहन्ना 14: 1-4)। अगर प्रभु हमें उसके साथ मेल करने की लालसा कर रहा है, तो निश्चित रूप से हम उसके साथ रहने की गहरी लालसा कर सकते हैं। अतः आइए हम हमारे स्वर्गीय देश की कामना करें |

मेरी प्रार्थना...

प्रिय पिताजी, मुझे बचाने के लिए आपने जो कुछ भी किया है, उसके लिए धन्यवाद। मुझसे शर्मिंदा न होने के लिए धन्यवाद। आपके साथ घर पर मेरे आने की तैयारी के लिए धन्यवाद। आने वाले समय के लिए, कि मैं एक विजयी जीवन जी सकता हूं क्योंकि मुझे आपकी कृपा पर भरोसा है, यीशु के बलिदान के कारण क्षमा किया गया हुँ, और आपकी आत्मा के द्वारा पवित्र होने के लिए सशक्त किया गया हुँ। यीशु के नाम से मैं यह प्रार्थना करता हुँ। आमीन !

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ