आज के वचन पर आत्मचिंतन...

कब आखरी बार आपने किसी धर्मी स्त्री के विश्वास और अनुग्रह के जीवन की प्रशंशा की हैं? क्यों न एक या दो प्रशंशा के पत्र लिखने में समय ले और इन कई स्त्रियों को आज धन्यवाद दे । आज हम कहा होते इन धर्मी स्त्रियों के विश्वासयोग्यता के बिना ? मैं सोच भी नहीं सकता और नाहीं सोचना चाहता हूँ ! आइयें आज उन्हें बताते हैं की वे हमारे लिए कितने अनमोल हैं और हमारे विश्वास के लिए भी ।

मेरी प्रार्थना...

पिता मैं आपका धन्यवाद करता इन सहायक धर्मी स्त्रियों के लिए जिन्होंने मेरे जीवन को अकार दिया और विश्वास करने में मदद किया .....परमेश्वर, मैं धन्यवादी हूँ पवित्र शाश्त्र के उन महान विश्वास की स्त्रियों के लिए जिन्होंने आपके लोगों के लिए बहुत कुछ किया । हमारी, आपके कलीसिया, विश्वास के आपके बच्चों की मददत कर की इन महान स्त्रियों को हर संभव तरीके से दिखाने की, की वे हमारे के लिए मायने रखते हैं । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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