आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यीशु ने आपनी स्वर्गीय महिमा को पकड़ कर नहीं रखा था,लेकिन हमें बचाने के लिए उसने आत्मसमर्पण किया.अब वह हमें उसके उदाहरण का पालन करने और उसके ह्रदय को साझा करने के लिए कहता है। वह चाहता है कि हम एक-दूसरे के साथ ऐसे व्यवहार करें जैसे उसने हमारे साथ व्यवहार किया है,उनकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए और वो स्वयं की इच्छा से पहले परमेश्वर की इच्छा के बारे में सोचे। अब यह एक क्रांति है, जिसे मै आशा करता हूँ कि पूरी तरह से देख सकु!

Thoughts on Today's Verse...

Jesus did not hang on to his heavenly glory, but surrendered it to save us. Now he asks us to follow his example and share his heart. He wants us to treat each other as he has treated us, thinking of their needs and God's will before our own. Now that's one revolution I hope I get to see fully happen!

मेरी प्रार्थना...

हे पिता,कृपया मेरे दिल और मन को आपनी पवित्र आत्मा की शक्ति से बदल दें। मैं चाहता हूँ कि मेरे विचार आपके विचार बनें,और मेरे दिल में अपके बेटे की भावनाओं को प्रदर्शित करने की इच्छा हो। मैं चाहता हूं कि मेरी इच्छा आपकी आत्मा के द्वारा निर्देशित हो। कृपया मेरी खुद की ज़िन्दगी की महत्त्व,और खुद की इच्छा और स्वयं के निर्वाह की क्रूरता को माफ कीजिए,भले ही मै जनता हूँ की यह सही नहीं है और सर्वोत्तम नहीं है।मेरे मन को अपके बेटे के मन की तरह बनाये.यीशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ.अमिन।

My Prayer...

O Father God, please transform my heart and mind by the power of your Holy Spirit. I want my thoughts to be your thoughts. I want my hearts desire to reflect the passions of your Son. I want my will to be guided by your Spirit. Please forgive my tendency to ruthlessly hang on to my own importance, my own will, and my own self-justification, even when I know it is not right or best. Make my mind more like the mind of your Son. In Jesus' name I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of फिलिप्पियों 2:5-6

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