आज के वचन पर आत्मचिंतन...

अनुग्रह है इसका मतलब यह नहीं की हम पाप को हलके में ले । हम पाप के प्रति मर गए जब हम ने खुदको मसीह के प्रभुता के अधीन किया था । हम न पाप , या उसकी समर्थ चाहीये की हम पर नियंत्रण रखे । हम येशु के उस भयानक दाम को जो उसने हमारे पापो को ढकने के लिए चुकाया है हलके में नहीं लेना चाहेंगे।प्रेरित पौलुस सभवता कठोर भाषा का उपयोग करते है ("किसी भी तौर पर नहीं !" यह अनुवाद को सधारण करने का तरीका है : " ईश्वर न करे !" "सोच से परे !" "घृणित बात !" क्या इससे अधिक और अचूक हो सकता है।) जो अनुग्रह से बचाये गए है, उनके लिए पाप परमेश्वर की इच्छा से खेलने से या एक दिव्या आज्ञा तोड़ने से अधिक है: पाप येशु के बलिदान जो उसने हमारे लिए किया उसको हलके में लेना है, पाप पिता के विरुद्ध विद्रोह है जिसने ने हमे अपने परिवार में शामिल करने के लिए इतना महंगा दम चुकाया है, और पाप परमेश्वर के दिल को तोडना है खुद के लिए आत्मघाती रह चुनने के द्वारा।

Thoughts on Today's Verse...

Grace doesn't mean that we are sloppy with sin. We have died to sin when we surrendered our lives to the Lordship of Christ. We don't want sin, or its power, to have control over us. We don't want to take lightly the awful cost Jesus paid to cover our sin. The apostle Paul uses the strongest language possible ("By no means!" is way too tame a translation: "God forbid!" "Unthinkable!" "Abomination!" would all be much more accurate.) As those saved by grace, we realize that sin is more than breaking a divine command. Sin is making light of Jesus' love for us by choosing our sin over his sacrifice. Sin is rebelling against the Father who paid such a high price to adopt us into his family. Sin is breaking our Father's heart because we are choosing our sin over our love for him. Finally, sin is choosing our own will rather than God; a choice that leads us down a path of self-destruction.

मेरी प्रार्थना...

पिता, धन्यवाद् आपके अतुल्य उदार अनुग्रह जो अपने मुझ पर क्रूस पर येशु की मृत्यु के द्वारा मुझ पर उंडेला है और उस उद्धार के द्वारा मुझे उससे मिला है । कृपया मेरे पापो के प्रति मुझे गृहनित कर दे । पवित्रता के लिए मुझे जोश दे और जो कीमत अपने चुकाई मुझे पवित्र करने के प्रति एक गहरा एहसास दे । येशु के नाम से प्रार्थना करते है । आमीन।

My Prayer...

Father, thank you for your incomparable generous grace lavished upon me through Jesus' death on the Cross and the salvation that I have received through him. Please make my own sin abhorrent to me. Give me a passion for holiness and a deeper appreciation of what it cost you to make me holy. In Jesus' name I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of रोमियो 6:1

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