आज के वचन पर आत्मचिंतन...

"काश की मेरा कोई दोस्त ही होता।" "काश की मेरे पिता मुझे छोड़कर नाही जाते।" "काश की वह थोड़ीसी ही सहयोगी होती।" "काश की....." लोग हमे निराश करेंगे, फिरभी हम अपनी कई सारी उम्मीदे उनसे लगते है ।वे हुमरिही तरह गिरने सकनेवाले और नाशवान है। तो जबकी हम औरो के जीवन का हिस्सा है, तो हमे परमेश्वर के पुत्र पर भी भरोसा जोडे रखना जरूर याद रहे, "जिसने मृत्यु को हराया और अनंतजीवन लाया और जीवन को ज्योति में लाया" और जो "ना कभी हमे छोड़ेगा और ना कभी त्यागेगा"।

Thoughts on Today's Verse...

"If only I had a friend." "If only my father hadn't left." "If only she was more supportive." "If only..." People can fail us, but we still pin so many of our hopes on them. They are fallible and mortal just like we are. So while we are involved in the lives of other people, let's also remember to keep our hopes connected to the Son of God, who "defeated death and brought immortality and life to light" and who will "never leave or forsake" us.

मेरी प्रार्थना...

प्रिय पिता, मुझे माफ़ कर, की जब भी मैंने अपनी भलाई और अपनी ख़ुशी के लिए किसी विषेश झुण्ड द्वारा स्वीकारित होने लिए या किसी एक व्यक्ति के द्वारा प्रेम पाने की उम्मीद लगाई हो। मैं जानता हूँ की मेरी आखरी उम्मीद केवल यीशु में ही पायी जाती है, जिसके नामसे प्रार्थना मांगता हूँ। अमिन ।

My Prayer...

Forgive, dear Father, when I have pinned my well-being and happiness on being accepted by a certain group or loved by a certain person. I know my only lasting hope is found in Jesus, in whose name I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of यशायाह २:२२

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