आज के वचन पर आत्मचिंतन...

हम अपनी सुरक्षा का आधार क्या बनाना चाहते हैं? क्या यह वह होगा जो हम कर सकते हैं, प्राप्त कर सकते हैं, कमा सकते हैं, रक्षा कर सकते हैं और जमा कर सकते हैं? या यह हमारा परमेश्वर होगा जिसने पीढ़ियों दर पीढ़ियों स्वयं को वफादार दिखाया है? हमें चुनने को मिलता है! हम अपनी पसंद से हर दिन ऐसा करते हैं - हम अपने समय, धन और प्रभाव के निवेश के साथ क्या करते हैं। तो, आप अपनी सुरक्षा किसमें पाओगे? आप अपना जीवन किसमें निवेश करोगे? मैं इसे प्रभु में निवेश करना चुनता हूँ! आपका क्या विचार है?

मेरी प्रार्थना...

सर्वशक्तिमान परमेश्वर, आप इस्राएल का पिता, राष्ट्रों का परमेश्वर और मेरा अब्बा पिता है। मैं अपना भरोसा, अपना भविष्य और अपनी आशाएँ आप पर रखता हूँ। मैं जानता हूँ कि मेरा धन, संपत्ति, उपलब्धियाँ और योग्यताएँ मेरी अपनी नहीं हैं। आपने मुझे इनकी आशीष दी है ताकि मैं आपका सम्मान कर सकूँ और दूसरों के लिए आपकी कृपा ला सकूँ। कृपया मेरे हृदय को शुद्ध और आप पर केंद्रित रखें। कृपया मेरे हृदय को अभिमान और स्वार्थ से धीरे से शुद्ध करें। कृपया मुझ पर अपना आशीष उंडेलें - ताकि मैं उन्हें रख सकूँ इसलिए नहीं, बल्कि इसलिए कि मैं आपको अधिक महिमा दिला सकूँ और जरूरतमंदों के साथ आपके कृपालु आशीषों को साझा कर सकूँ। यीशु के नाम में, मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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