आज के वचन पर आत्मचिंतन...
परमेश्वर हमें याद दिलाता है कि हमारे शब्द और हम अपनी वाणी का जिस तरह उपयोग करते हैं, वह हमारे द्वारा जिए जाने वाले जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। कोई भी चीज़ दुष्ट वाणी और हमारे द्वारा बोले गए झूठ की तरह एक जीवंत जीवन को छोटा नहीं करती। ये घातक बुराइयाँ छल और विनाश को उजागर करती हैं जिसे हम नियंत्रित नहीं कर सकते। यह उन्मुक्त ज़हरीली शक्ति न केवल उन लोगों को हानि पहुँचाती है जिनके बारे में और जिनसे हम बात करते हैं, बल्कि दुष्ट शब्द और झूठ अंततः बूमरैंग (boomerang) की तरह वापस आते हैं, और हमारे अपने जीवन में अपना घातक बोझ लाते हैं। आइए हम ऐसे लोग बनें जो सही, अच्छा, लाभदायक, पवित्र, सच्चा और आशीष की बात करते हैं (इफिसियों 4:20-5:12)।
मेरी प्रार्थना...
हे पवित्र और धर्मी परमेश्वर, मेरे पिता, मेरे हृदय को शुद्ध करें। कृपया मेरे शब्दों को सभी छल, निंदा, अशिष्टता, दुष्टता, असत्य, अतिशयोक्ति, दुर्भावना, विकृति, कपट और घाव देने वाले शब्दों से शुद्ध करें। मेरे मुँह के वचन और मेरे हृदय के विचार आपको भाएँ, हे परमेश्वर, मेरे प्रभु और मेरे मुक्तिदाता। यीशु के नाम में। आमीन।


