आज के वचन पर आत्मचिंतन...

दूसरों के लिए निर्णायक होना बहुत आसान है। हमें यह याद रखना चाहिए कि हम उनके संघर्षों, परिस्थितियों या निराशाओं को नहीं जानते हैं। सबसे बढ़कर, हम उनके हृदयों को नहीं जानते। जब हम निर्णायक होते हैं, तो हम दूसरों और खुद के बीच एक बाधा खड़ी कर देते हैं, क्योंकि हम खुद को एक भाई या बहन से श्रेष्ठ ठहराते हैं जिसके लिए मसीह यीशु ने अपनी जान दी! अगर हम सावधान न रहें, तो हम गपशप में उनके बारे में अपने निर्णायक प्रभाव को दूसरों तक फैला सकते हैं। उन्हें केवल निर्णायक भावना से देखने की हमारी हठधर्मिता एक ऐसी बाधा खड़ी करती है जो उन्हें निराश कर सकती है और उनके ठोकर खाने का कारण बन सकती है। यीशु हमें इस तरह की हानिकारक प्रथा के बारे में कठोरता से चेतावनी देता है (मत्ती 18:6-7)। आइए हम अपना मन अपने भाइयों और बहनों के लिए प्रोत्साहन और आशीष बनने पर लगाएँ और दूसरों के रास्ते में बाधा न डालें।

मेरी प्रार्थना...

पिता मैं आपसे मांगता हूँ की मेरे व्यहवार दूसरों के प्रति हैं को अपने उद्धारक अनुग्रह जो आपका उनके प्रति हैं के साथ मेल खाये पुष्टि करे ।औरों की गलतियों में मैं और अधिक धीरजवन्त होना चाहता हूँ , ठीक वैसे ही जैसे आप मेरे साथ धीरजवन्त होते हैं ।मुझे क्षमा करे की मैं और अधिक उत्त्साहित करने वाला न बना जो कमजोर हैं और संघर्ष कर रहे हैं और उनके लिए आशीष बनु ऐसे रास्तों के प्रति मेरे आंखों खोल । जब मैं दूसरों के लिए रूकावट बना उन क्षणों के लिए मुझे क्षमा करे और मेरे हृदय को खोल की आपकी आशीषों को उनके साथ बाँट सकू । मुझे कृपया इस्तेमाल कर की मैं अनुग्रह का पात्र बन सकू । येशु के नाम से । आमीन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। phil@verseoftheday.com पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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