आज के वचन पर आत्मचिंतन...

कलीसियाई -घर के गीत गान या पवित्रस्थान के आनंद में ही समित ना रह जाये। आईये हम आजके इस दिन को मसीही गीतों को सुनने का और साथ ही परमेश्वर के लिए धन्यवाद् और स्तुति गीत गाने का दिन बनाए।

मेरी प्रार्थना...

प्रिय स्वर्गीय पिता,आपके मानवीय श्रुष्टि और संगीत के इस तोफे के लिए आपका बहुत धन्यवाद् करता हूँ। धन्यवाद उन सरे लोगो के लिए जो आरधना के गीतों को लिखते है और बटते है जो मेरे दिल को आनंदित करते है। इन गीतों को सुनने और गाने के द्वारा आपके प्रति अपने प्रेम को दिखता हूँ और हर वो अशिषे जो अपने मुझ पर उंडेली है उसके लिए मेरे हृदय से आपको धन्यवाद करता हूँ, तो कृपया मेरी इस स्तुति से आप खूश हो। यीशु के नाम से धन्यवाद करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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