आज के वचन पर आत्मचिंतन...
जो व्यक्ति प्रेम नहीं करता वह परमेश्वर को नहीं जानता। बात इतनी ही सरल है। बस इतना ही कहना काफ़ी है। और अधिक शब्दों की आवश्यकता नहीं है। इसलिए, आइए हम पवित्र आत्मा की शक्ति की तलाश करें, जो परमेश्वर की कृपा से हमारे हृदयों में उँडेली गई है, ताकि हम वैसे ही प्रेम कर सकें जैसे परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया है (रोमियों 5:5)।
Thoughts on Today's Verse...
An unloving person doesn't know God. It's that simple. Enough said. No more words are needed. So, let's seek the Holy Spirit's power, poured into our hearts by God's grace, so we can love as God has loved us (Romans 5:5).
मेरी प्रार्थना...
हे पिता, कृपया मुझे एक प्रेममय हृदय और एक ऐसी जीवनशैली से आशीष दें जो उदारता से दूसरों के साथ आपके प्रेम को साझा करे। जैसा मुझे करना चाहिए, जैसा आप चाहते हैं कि मैं प्रेम करूँ, वैसा करने में मेरी मदद करने के लिए, कृपया पवित्र आत्मा के द्वारा मेरे हृदय में अपना प्रेम उँडेलते रहें। यीशु के नाम में, मैं प्रार्थना करता/करती हूँ। आमीन।
My Prayer...
Father, please bless me with a loving heart and a lifestyle that generously shares your love with others. To help me do this as I should, as you want me to love, please keep pouring your love into my heart through the Holy Spirit. In Jesus' name, I pray. Amen.



