आज के वचन पर आत्मचिंतन...

डर कई प्रकार का होता हैं। इनमें से कुछ वैध हैं। दूसरी कल्पनाए किये जाते हैं। और दूसरों से तर्कहीन हैं। मसीह होते हुए कृतज्ञतापूर्वक, हमें अपने जीवन में- न्याय,जो एक महत्वपूर्ण घटना है उससे डरने की जरूरत नहीं है। परेम्श्वर का प्रेम हमे उद्धार देता है, सामर्थ देता है,आशीर्वाद देता है, हममें काम करता है, और दूसरों को हमारे द्वारा स्पर्श करता है। सबसे ज्यादा, इस प्यार को हम अनुभव करके, हम डर को हमारे ह्रदय से भगा सकते है क्यूंकि हमे पता है की हम परमेश्वर में कहा खड़े है। वो हमारा प्रेमी पिता है जो हमे घर लाने के लिए आशा करता है।

मेरी प्रार्थना...

पवित्र,प्रातापमय, और समर्थि परमेश्वर, आप अपनी बल में शक्तिशाली हैं। आप तुलना से परे पवित्र हैं। आप धर्मी और अपने लोगों के साथ अपने व्यवहार में निष्पक्ष रहते हैं। अधिकांश, प्रिय पिता, मैं आपको धन्यवाद करता हूँ क्योंकि जैसे मैं पाप के लायक हूँ वैसे आप मुझेसे व्यहवार कीजिये नहीं करते। नहीं,ओ परमेश्वर,आप मुझे अनुग्रह के साथ सौदा कीजिये,आपके छुड़ाने वाले और रूपांतर करने वाले अनुग्रह से आशीष कीजिये। आपका प्यार मुझे आपके लिए जीने और आपके सामने खड़े होने के दिन का इंतजार करने के लिए आत्मविश्वास देता है.उस दिन तक मैं आपको मेरे धन्यवाद और स्तुती को यीशु के पवित्र नाम से प्रस्ताव करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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