आज के वचन पर आत्मचिंतन...

सच्चे शब्द सटीक होते हैं । प्रेम से कहें हुए शब्द आशीष होते हैं। परन्तु प्रेम से कहा हुआ शब्द छुटकारा होता हैं: इस प्रकार के कथन सुनने वालों को आशीषित करते हैं और जो कहतें हैं उन्हें परिपक्व बनाते हैं। जबकि हमेशा प्रेम से सत्य कहना आसान नहीं होता, योग्य होता हैं! परमेश्वर को देखो कितना कठिन था उसके लिए येशु को भेजने के द्वारा प्रेम से अपने वचन को कहना। परन्तु उस एक त्यागपूर्ण शब्द के प्रक्रिया मेंउसने हमको बचा लिया और अपने अनुग्रह, दया और प्रेम के हृदय को प्रगट किया।

मेरी प्रार्थना...

पवित्र परमेश्वर मेरे शब्द सत्य और प्रेमी हो। कृपया मुझे क्षमा करना जब मैं ने "दुखदाई सत्य" कहा हो बहस जीतने के लिए, दिल दुखने के लिए या फिर दूसरों को खुश करने के लिए। कृपया मुझे क्षमा करना जब भी कभी मैंने बढ़ा-चढ़ा के, तोड़- मरोड़ के या फिर झूठ कहा हो। मैं चाहता हु की मेरे शब्द साधरण और कोमल हो, सत्य और प्रेमी हो । मैं चाहता हूँ की दूसरे मेरे बात करने के तरीके में आपके अनुग्रह को देख पाए। मेरे उद्धारक येशु के नाम से मैं प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ