आज के वचन पर आत्मचिंतन...

उसने पहले हम से प्रेम किया ! उसने अपने पुत्र को भेट किया हमे बचने के लिए उसके अनुग्रह पर विश्वास करने की या नजरअंदाज करने के हमारे निर्णय के बजाये। हमे उसके पुत्र के मृत्यु को हमारे पापों के बलिदान के तौर पर उसको ग्रहण करने की या तिरस्कारित करने की योग्यता हैं । बस एक शर्त हैं, जैसे १ योहन्ना २:१-२ जोर डालता हैं इस बात पर की, हम जानते हैं की वह सरे संसार के लिए भी मरा !

मेरी प्रार्थना...

बहुमूल्य राजा, सर्वसामर्थी परमेश्वर, क्यों आप मुझसे प्रेम करना चाहिए और येशु को मेरे लिए मरने के लिए भेजा मैं कभी भी पूर्णतः नहीं समझ सकूंगा । आपके प्रेम के लिए धन्यवाद् । मेरे पापों के लिए आपके बलिदान के लिए धन्यवाद । धन्यवाद येशु मुझे बचने आने के लिए । आपके नामसे और आपके मध्यस्तता के द्वारा मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ