आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जब हमारे ह्रदय परमश्वर का इच्छा के लिए समायोजित रहेता है और उनको आदर करने के लिए आशा होता है, हमारे पिता हमे बहुत मार्गो से आशीष देने के लिए प्रसन्न होता है. इसीलिए हमे पहेले उनका इच्छा को करने का संकल्प करे. उसके बाद, दूसरो के ऊपर परमेश्वर का अशिशोंको डालने के लिए हम परमेश्वर से पुचने में ना डरे. उसके बाद हमारे दिल का इच्छा को भी उनसे बाटे.अंत में, जो रीती से हमे आशीष देता है उसे देख कर हैरान न होए.

मेरी प्रार्थना...

हे परमेश्वर, कृपया आप खुद को महिमनीय दिखाए जिस रूप से आप मुझे आशीष देते हो और उन है कि मैं प्यार करता हूँ. सभी लोगों को पता होने दीजिये कि ये वरदान हमारे ज्ञान, कौशल, या ताकत से नहीं बल्कि अपने अनुग्रह से मिलता है।यीशु के नाम से में मांगता हूँ. अमिन

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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