आज के वचन पर आत्मचिंतन...

पिछले दो सप्त में हम कई वोच्नो आत्मा का कार्य के बारे में पडनेके द्वारा आशीष पाए है. पिछले कुछ दिनों में , हम परमेश्वर का संतान होनेका उत्सव किये है. अभो वो दोनों प्रत्यय्ये मिलकर एक महान घोषणा करता है की हम परमेश्वर के संतान है, उनके सांता सरे हुक के साथ. न सिर्फ हमे अनुग्रह दिया गया है, परन्तु हम उसके संतान होकर जीते है और उनका अनन्त परिवार का अशिशोंका मजा उठाते है.

मेरी प्रार्थना...

प्रिय स्वरगीय पिता, मेरे जीवन में आपका नाम पवित्र मना जाए. अपनी इच्छा और अपने शासन मेरे जीवन में जाना जा सकता है जैसे स्वर्ग के मेजबान यह सम्मान बस के रूप में।पिता, मुझे विश्वास है कि आज मुझे, जो भोजन जरूरत है आज दे देंगे और मैं आपको धन्यवाद देता हूं।कृपया मुझे मेरे पाप का माफ कर जैसे में जो मेरे विरूद्ध पाप करता है उनको क्षमा करने के लिए प्रतिबद्ध है।आप तेजस्वी हो, पिय पिता.आपकी राज्य अनन्त है, और मेरा दिल का लक्ष्य है.आपकी समर्थ मेरा बल का स्रोत है.प्रिय पिता,आप से में प्यार करता हूँ.यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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