आज के वचन पर आत्मचिंतन...

उद्धार क्या ही बहुमूल्य बात हैं! यद्यपि हम जानते हैं की यदि कोई बच्चा अपने विकास में और परिपक्वता में उसी स्तर पर ही हो तो कुछ तो भयानक रूप से गलता हैं। बच्चें में असामान्य शाररिक बदलव बड़ी फिक्र की बात हैं । इब्रानियों ६ हमें स्मरण कराता हैं की यह हमारे आत्मिक जीवन में भी सत्य हैं । परमेश्वर नहीं चाहता की हम अपरिपक्व रहें! वह चाहता है की हम निरंतर बढ़ते रहें । हमारा पिता चाहता हैं की हम जो अच्छा हैं और जो हमें निर्माण करता हो ऐसे बातों की लालसा करतें रहे। तो आज आप अपनी आत्मिक भूक को संतुष्ट करने और परमेश्वर में बढ़ने के लिए क्या करेंगे?

मेरी प्रार्थना...

सामर्थी परमेश्वर, धन्यवाद मुझे प्रेम करने के लिए और बचने के लिए । मैं सचमे आपके अनुग्रह में परिपक्व होना चाहता हूँ । आज मुझे आशीषित कर क्योकि मैं पवित्र आदतों की खोज करता हूँ और जो बाटे मुझे आत्मिक बढ़ोत्री में सहायता करेंगीं उनसे खुद को भरता हूँ। लेकिन पवित्र परमेश्वर मैं जनता हूँ की सच्ची बढ़ोत्री आपकी ही ओर से अति है, इसलिए मैं आपसे मांगता हूँ की मुझे अपनी आत्मा की सामर्थ से भरे और की मैं आपके चरित्र का पीछा करूँ ।येशु के सामर्थी नाम में प्रार्थना करता हूँ । आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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