आज के वचन पर आत्मचिंतन...

भरोसा। क्या हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं? क्या प्रभु सचमे विश्वासयोग्य हैं? जबकि हम चाहते हैं की काश हम उस समय जीवत होते जब यीशु इस पृथ्वी पर चला था या जब यर्मियाह ने निडर होकर परमेश्वर के कठोर सत्य को बोला था, लेकिन हम विशेषकर अशिक्षित हैं की हम आज में जीवित हैं। हम परमेश्वर के अतुल्य कार्य के चाल के अंत में खड़े हैं । हम इतिहास में देख सकते हैं और उसके विषय में जान सकते हैं की वह अत्यंत ही विश्वासयोग्य रहा हैं अपने लोगों के प्रति। हम हियाव के साथ भविष्य में चल सकते हैं क्योकि हम जानते हैं की परमेश्वर पहले से ही वहाँ पर हैं!

मेरी प्रार्थना...

पवित्र परमेश्वर, मैं जनता हूँ आप वहां हो ! भोर में, साँझ में, लम्बी रातों में, मैं जनता हूँ मैं अकेला नहीं हूँ । मुझे जानने के लिए धन्यवाद और मेरे सब दिनों में मेरे साथ चलने के लिए ।जो कुछ भी मैं कहता हूँ या करता हूँ उसमे मैं आदर देता हूँ आज तो कृपया आपके उपस्तिथि को मुझे मालूम कराइये । मेरे प्रभु, यीशु के नामसे यह मांगता हूँ । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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