आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जब हमे पाप के लिए मृत्यु मिलेंगी, हमने सिर्फ उसकी मजदूरी मिल रही हैं जो हमारा बकाया है— पाप परमेश्वर के प्रति विद्रोह हैं जो हमसे प्रेम करता हैं और हमे अपना सर्वश्रेष्ठ उपहार दिया की हमे पापों से छुड़ाए! पर परमेश्वर का उपहार मुफ्त हैं— येशु मसीह में अनंत जीवन। हम उसे कमा नहीं सकते, उसके लायक नहीं, या उसका दवा नहीं कर सकते हैं। तो परमेश्वर ने हमे अनुग्रह से भेट कर दिया।

मेरी प्रार्थना...

धन्यवाद परमेश्वर मुझे प्रेम करने के लिए जब कोई नहीं करना चाहता था या कर सकता था। स्वर्ग के सर्वश्रेष्ठ उपहार को त्याग करने के लिए की मैं आपके साथ वंहा शामिल हो सकू । सरे उपहार जो मैंने अब तक पाए हैं आपका सर्वश्रेष्ठ हैं । मैं यह स्तुति उसके नाम से भेट करता हूँ जिसके उपहार ने मुझे जीवन दिया हैं! अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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