आज के वचन पर आत्मचिंतन...

चलो इसे सरल रखे। पहेले,हमे स्वीकर करना है कि जटिलता और जिंदगी की चीन्तायो के साथ,हम्मे से बहुत ज्ञानी भी उतना ज्ञानी नही होते है. दुसरा, हमारे परमेश्वर प्रभू पवित्रता में ,तेजस्विता में ,सामर्थ में,बुद्धी में और अनुग्रह में आश्चर्य जनक है. वो हुम्से बहोत दूर है और जो हम कर सकते है और उसकी महिमा की थोडी सी झलक देख सकते है.अन्त में,जो हमे सारे चीजे जो हमे बुराई में फसाता है उससे दूर रेहना है जो हमे उल्झन में डालता है और परमेश्वर से हमे अलग करता है.

मेरी प्रार्थना...

सारी बुद्धि और अनुग्रही स्वर्गीय पिता,अपका ज्ञान अतुलनीय है,आपकी कृपा अथाह है,अपकी पवित्रता अतुलनीय,और समझ से परे है अपका प्रेम।अपकी सभी आशीशे और उपहार के लिए धन्यवाद,लेकिन सबसे अधिक आपको पहुंचने के उपहार के लिए धन्यवाद, हमारे लिये जो आपकी उपस्थिती में कोई आधीकार नही हो सकता है लेकीन आपके प्रेमी दया से उन सारे लोग अमिन्त्रीत्र किये गाये है.परिक्षा का सामना करने के लिए अपनी इच्छा को मजबूत करें और मेरे ज्ञान को गहरा किजीये बुराई क्या होती है उसे देखने के लिए।कृपया मुझे बुराई और इसके प्रभाव से दूर रहने की मेरी इच्छा में सामर्थ दिजीये। यीशु के नाम से प्रार्थना करता हुंँ! अमीन.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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