आज के वचन पर आत्मचिंतन...

ज्ञान हमारे "किताब के पढाई",से,अच्चे टिप्पणियाँ,या घमंड के द्वारा नाही दिखाया जाता है.नही,सच्चा ज्ञान हमारे जीवन की भक्ती का चरित्र दिनता और नम्र करने के द्वारा दिखायी देता है.

मेरी प्रार्थना...

हे पिता,यीशु जैसा मुझे ज्ञानी बनायीये.आपकी इच्छा को परिपूर्णता से जानने के लिये और दया से नम्र हो कर विशवासयोगयाता के साथ जीनके लिये मुझे सामर्थ दीजीये.मेरे मुह का शब्द और मेरे जीवन का कार्य आपको प्रसन्न करे और आपकी अनुग्रह को दुसरो के लिये लाये.यीषु के नाम से प्रार्थना करता हुँ.अमीन.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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