आज के वचन पर आत्मचिंतन...

मसीह धर्म अपने आप में मरना होता है।कुछ लोग इसे घृणित,कष्टदायक,और कमजोर मानते हैं."वे आश्चर्य होते है" कि,"क्यू अपनी इच्छाओं को,चाहत को,और लालसा को दुसरो के आदेश के वाजह से छोडना है?.वे सोचते है की,ये गुलामी की तरह लगते है!'हालांकि,वे एहसास नही करते है कि मसीह के लिए हमारी चाहत का आत्मसमर्पण, उडने वाली एक पक्षी जिस तरह हवा के कबु में उडती है और एक मछली जो पानी के अनुसार जीती है।वैसे ही जब हम परमेश्वर को आत्मसमर्पण करते हैं,तो वो हमे जिस कार्य के लिये हम बनाये गये है वैसे बनने के लिये सामर्थ देता है-जो मार्ग अनन्त हैं उसका उपयोग करने लिए समझ देता है.जीवन को मृत्युकारक सीमाओं में सीमित न होने के लिए क्षमता देता है,और हमें पिता अपनी नम्रता के साथ भोजन करने आशीश देता है।मसीह के समर्पण में हम क्या खो जाते है?विद्रोह की वजह से हमारी स्वार्थ और हमारी आत्म-क्षति को केवल खोजते है?।

Thoughts on Today's Verse...

Christianity is all about dying to ourselves. Some see this as hideous, onerous, and weak. "Why give up your desires, wants, and longings for something someone else mandates?" they wonder. "That sounds like slavery!" they charge. However, they fail to realize that surrendering our wills to Christ is like a bird surrendering to air currents or a fish to the water. When we surrender to the Lord, he gives us the power to be what we were made to be — enabled to be useful in ways that are eternal, empowered to have life not limited by mortal boundaries, and blessed by communion with the Creator as our Father. What is lost in this surrender to Christ living in us? Only our selfishness and our self-damage caused by rebellion.



Chasing Jesus Reading Plan mentioned in the video below.

मेरी प्रार्थना...

पवित्र पिता,यीशु के द्वारा मेरे जीवन में हुए कार्य के लिये धन्यवाद.जैसे आप मुझे अपने बेटे और मुक्तिदाता की तरह और अधिक उनके रूप में बनाते हो,मै विश्वास करता हुँ कि आप मुझे मेरे सोच से भी अधिक रूप मे उपयोग करेंगे.कृपया मेरे दिल को लीजिये और अच्छे से शुद्ध किजीये.कृपया मेरे जीवन को लीजिये और महानता से उपयोग किजीये.कृपया मेरे विचारों को विस्तार किजीये और मुझे आश्चर्य रूप से सपने देखने में मदद किजीये.ये सब मुझमें आपके पुत्र के जीवन से शक्ति प्राप्त हो,और जो कार्य मै करता हुँ,और जो सपने देखता हुँ,और मै इच्छा करता हुँ,की ये सारी चीजे आपकी महिमा के लिए हो.यीशु के नाम से प्रार्थना करता हुँ.आमीन.

My Prayer...

Holy Father, I thank you for your work in my life through Jesus. As you remake me to be more like your Son and my Savior, I trust that you will use me in ways far grander than I can imagine. Please take my heart and cleanse it thoroughly. Please take my life and use it mightily. Please expand my thoughts and help me dream more majestically. May all of this be empowered by your Son's life in me, and may all I do, dream, and desire be for your glory. In Jesus' name, I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of गलातियों २:२०

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