आज के वचन पर आत्मचिंतन...

इस बड़े वचन का संक्षेप में सरल सन्देश यही होता है :हम अपने शरीर से जो भी कुछ करते है उससे परमेश्वर को महिमा देना चाहिए । हम तो अपने पापो में मरे हुए थे, परन्तु हमे परमेश्वर ने जीवित किया , येशु के साथ उसके बचनेवाली मृत्यु में , गड़े जाने में , और पुनुरुथान में भाग लेने से । हम कैसे वापस उन घिनौने पापो के पास जा सकते है जिन हम गुलाम थे और जिन के अगुवाई से हम मृत्यु तक पहुंचे थे ? हमे नहीं करना चाहिए! हम नहीं करना है ! और परमेश्वर के अनुग्रहभरी मद्दत से हम नहीं करेंगे। उसके महिमा के लिए जीने का हमारा समर्पण और उसके पवित्र आत्मा की सामर्थ हमे उसके लिए जीने में मद्दत करेगा!

मेरी प्रार्थना...

पिता, अनुग्रह के परमेश्वर, कृपया मुझे माफ़ कर की जब मैंने अतीत में पाप से खेला । मैं जनता हूँ की आपने कितना दाम चुकाया मुझे पापो से छुड़ाने के लिए। मैं शैतान की शक्ति को जनता हूँ की वह मुझे पापो में फसाये या दस बनाये । मुझे आशीषित कर की मैं तेरे लिए जीने का समर्पण करता हूँ , येशु मेरा प्रभु के साथ और पवित्र आत्मा जो मुझे समर्थ देता है की मैं तेरा आदर कर सकू । येशु के नाम से। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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