आज के वचन पर आत्मचिंतन...

वाह, क्या ही अविश्वसनीय संग्रह है उच्च उर्जित सत्यों के कथनो और वाचाओं का ! हम पिता द्वारा येशु को दी गई भेट है ।येशु की चाहत है की हम परमेश्वर की महिमामय उपस्तिथि में रहे । येशु चाहते है की हम उसकी महिमा क देखे और अनुभव करे ।येशु पिता द्वारा सृष्टि से पहले से ही प्रेम किये गए है। इन बातों के विषय में सोचो । परमेश्वर से मानगो की वह तुम्हे दिखाए की उसके लिए हमारा महत्व वे कितने शक्तिपूर्ण प्रगट करते है ।उस दिन का सपना देखो जब तुम उसके बच्चे के सामान परमेश्वर की महिमा को उसके साथ बाटेंगे ! (१ यहुन्ना ३:१-३ ) अब, आओ चलो हमारे प्रति परमेश्वर के नज़रिये के आधार पर जीए।

मेरी प्रार्थना...

सर्वसामर्थी परमेश्वर और अब्बा पिता, मेरे लौकिक और संसारिक नज़रिये के लिए जो खुद के और तेरे दूसरे बच्चो के प्रति था उसके लिए मुझे क्षमा कर । अपनी आत्मा के द्वारा मुझ में एक और अधिक सिद्ध सरहाना उत्तेजित कर येशु के चलो के प्रति और हम में से हर एक तेरे लिए कितने महत्वपूर्ण है। कृपया मुझे सामर्थ दे की मैं और अधिक धीरजवन्त, सहनशील, क्षमा करनेवाला और मेरे मसीह भाइयो और बहनो के असिद्धता के प्रति आदरपूर्ण रह सकू जैसे मैं मानता हूँ मेरे असिद्धता को और जैसे मैं उस दिन का इंज़ार करता हूँ जब हम सिद्धता में एकता के साथ तेरे पवित्र अनुग्रह के सिंहासन के सामने होंगे । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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