आज के वचन पर आत्मचिंतन...

आप क्या करते आपके नए पड़ोसियों केलिए जब वे आपके पड़ोस में या इमरतिया माकन में रहने आते है ? कितने गर्मजोशी से आप व्यतक्तिगत रीती से मेहमानो का स्वागत करते है जब वे आपके कलीसिया में या बाईबिल अभयास समूह में आते है ? कब आखरी बार अपने किसी नए व्यक्ति को अपने कलिस्या के भोज पर बुलाया या उन्हें अपने मसीही दोस्तों की महफ़िल में शामिल किया ? जबकि हम में से कुछ को पहने का दान है , हम सबको स्वागतीय और खुले होना है उनके प्रति जो लोग हमारे मसीह आराधना और संगती में पहेली बार आते है ।क्यों न एक समर्पण करे की हर सफ्ताह एक नए व्यक्ति से मिलेंगे और कलिस्या में लाएंगे । एक भावहीन और औपचारिक संसार में हम एक बड़ा फर्क ला सकते है उनके जीवन में जो पनाह और येशु का और उसके लोगो का अनुग्रह खोज रहे है ।

मेरी प्रार्थना...

पिता कृपया मेरी सहायता कर और मेरे कलिस्या की सहायता कर, जो लोग नए और जो मेहमान हो उनके प्रति अधिक खुले और स्वागतीय हो ।कृपया हमे इस्तेमाल कर की हम उन्हें आपका अनुग्रह दिखा सके और एक मसीह घर उपाय कर सके । येशु के नाम से । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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