आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जबकि हमारे आगे के रस्ते प्रशनों और चिंताओं से धुंधली हो जाये तो हम पीछे मुड़कर देख सकते हैं की किस तरह से परमेश्वर ने हुमारे लिए कार्य किये हैं और हमे उन जगहों पर पहुंचाया जहाँ हमे पहुंचना होता। परन्तु न केवल हमसे भी अधिक, हम उसके कार्यों को सम्पूर्ण इतिहास में देख हैं और हम इस बात से निश्चिन्त हो सकते हैं की उसके वादे सच्चे हैं और उसकी जीत पक्की हैं।

मेरी प्रार्थना...

सर्वसमर्थी परमेश्वर, मैं विश्वास करता हूँ की इससे पहले संसार रचा जाता आप का अस्तित्व था। मैं विश्वास करता हूँ की अभी भी आप ही हमारे इस संसार को अपने अनुग्रह भरे वचनो से चलते होै। मुझे आत्मविश्वास हैं की इससे पहले भविष्य हम तक पहुंचे आप पहले से ही वहीँ पर हो हमारे लिए उसे तैयार कर रहे होै। उन क्षणों में मेरी सहायता करे जब मैं आज की तरह आत्मविश्वास से भरा हुआ ना होऊं अपने विश्वास को याद रखने में और यह भी की अपने अनुग्रह के साथ वंहा इंतज़ार करते हुए इस बात पर भरोसा करते रहूं। येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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