आज के वचन पर आत्मचिंतन...

पौलुस कठिनाइयों को जनता था: 2 कुरिन्थियों 11:22-33 में उन मुश्किल चुनौतियों का सामना करने के लिए जिन चुनौतियों का सामना उसे करना पड़ा उनमें से कुछ पर गौर करें। उनकी "वर्तमान पीड़ाएं" हमारी कठिनाइयों के मुकाबले जब हम तुलना करते हैं। हालांकि, पौलुस आत्मविश्वास से कह सकता है कि मसीह (सीएफ।कुल्लुसिओं 3:1-4) के साथ वह महिमा होगा जो इतनी अविश्वसनीय होगी कि बहुत बढ़िया आशीष की, तुलना में उनकी कठिनाइयां छोटी होंगी| और यह महिमा भी हमारा होगा! अब क्यायह शानदार समाचार नहीं है

मेरी प्रार्थना...

पवित्र और सर्वशक्तिमान परमेश्वर, आप अद्वेतीय, गौरवशाली,और प्रतापी हैं|मैं आपकी महिमा करता हूँ इस धरती पर आने और मुझे छुटकारा देने के लिए अपने अनुग्रह के द्वारा|पिता, ज्यादातर समय मेरा विश्वास मजबूत है और मैं अपने भविष्य के बारे में आश्वस्त महसूस करता हूँ| हालांकि कभी कभी जब मुझे गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तब मेरा विश्वास डगमगा सकता है|मुझे हिम्मत और सहस दे, प्रिय पिता, ताकि यह सोच कर उन सारी चुनौतियों का सामना कर सकू की जब येशु आएंगे तब उसकी महिमा के सामने ये सब चुनौतियां बहुत छोटे होंगे|येशु के नाम से प्रार्थना कारता हूँ| आमीन!

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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