आज के वचन पर आत्मचिंतन...

हम अक्सर परमेश्वर के शीघ्र और आकस्मिक अनुशासन और दण्ड पर ध्यान देते है, जो उसने पुराने नियम में अपने लोगों पर इस्तेमाल किया जो इसकी गंभीरता के कारण असफल रह गया | अतः पवित्र आत्मा हमे स्मरण दिलाती है, की जब ये सब सही है, की यीशु मसीह की मृत्यु की अनुग्रह का उपहास करना परमेश्वर के दण्ड के योग्य है | अनुग्रह अविश्वसनीय है | यह अद्धभुत है | लेकिन इसका इंकार करना मतलब यीशु का इंकार करना है और उन सब कार्यो का जो उसने इस अनुग्रह के लिए किया था, सच्चे अनुग्रह के प्रत्येक स्रोत को अस्वीकार करना है |

मेरी प्रार्थना...

पवित्र और धर्मी पिता, आपके कष्टदायक और कीमती अनुग्रह की भेंट के लिए धन्यवाद | कृपया मुझे सामर्थ दे की मै उस अनुग्रह को दूसरों तक पंहुचा सकुँ | मुझे वो क्षमता प्रदान करे की मै इस अनुग्रह के प्रेम को दूसरों को बताऊ की लोग आपके उद्धार को जान सके, और यीशु के अनुग्रह के भेंट को अस्वीकार करने के कारण आपके न्याय का सामना करना न पड़े, उसी यीशु के नाम से प्रार्थना करता हुँ |आमीन !

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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