आज के वचन पर आत्मचिंतन...

येशु ने वो किया जो हम नहीं कर सके ; वह परमेश्वर के सन्मुख सिद्ध जीवन जिया । उसने दिखाया की पाप हमारे जीवन में आवश्यक नहीं है और यह की हमे उसके बंधन के पकड़ में रहने की जरुरत नहीं है। उसने अपनी आत्मा उंडेली हम पर ताकि हम ना केवल उसके क्षमा और शुद्ध करनेवाले अनुग्रह में भाग ले सके, बल्कि इसलिए भी की हम उस जीने की सामर्थ में इस रीती से जिए जो परमेश्वर को प्रसन्न करे । येशु हमारा पाप बलि है और उद्धारकर्ता है ।

मेरी प्रार्थना...

धन्यवाद् पिता मेरे पापों के लिए बलिदान उपाय करने के लिए । धन्यवाद्, प्रभु येशु मेरे पापों से छुड़ाने के इतने भयानक दाम को चुकाने के लिए इच्छुक होने के लिए । धन्यवाद् पवित्र आत्मा मुझ में वास करने के लिए और मुझे शक्ति देने के लिए की परमेश्वर के लिए जी सकू । धन्यवाद्, हे परमेश्वर, आपके उद्धार के लिए! येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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