आज के वचन पर आत्मचिंतन...

मूसा ने हमें परमेश्वर की आज्ञाओं के बारे में तीन महत्वपूर्ण संदेश दिए हैं। पहला, माता-पिता के रूप में, यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों को पढ़ाएँ - न कि सरकार की, या स्कूलों की, और न ही हमारे कलीसियाओं की। दूसरा, जैसे की एक परिवार के रूप में हमारी दिनचर्या है, वैसे ही हमें जीवन के हर पहलु में उन्हें सिखाना है । तीसरा, जैसे कि हम अपने बच्चों की परवरिश करते हैं, तो उन्हें हमारे शब्दों और जीवन दोनों के द्वारा निरंतर सिखाते रहना है | अब हम इसे एक नौकरी, एक बोझ, एक भारी जिम्मेदारी समझ सकते हैं, या हम एक जीवन को भविष्य के लिए आकार देने और परमेश्वर के साथ एक बच्चे को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बढ़ाने, जो परमेश्वर के राज्य के लिए एक शाश्वत अंतर बनाए अपनी अवसर समझ सकते हैं। ऐसे साझेदारी का हिस्सा बनने में क्या ही आनन्द है |

मेरी प्रार्थना...

हे यहोवा परमेश्वर, कृपया मुझे आशीष दें क्योंकि मैं दूसरों पर, विशेषकर अपने परिवार के लोगों पर अपने विश्वास को बाँटना चाहता हुँ। कृपया मुझे उनके साथ एक सुसंगत और वफादार गवाह और सही समय आने पर सही शब्द कहने का आशीष प्रदान करें। मुझे प्रेम और सम्मान के साथ कहने की शक्ति और संवेदनशीलता प्रदान करें, और अपने बच्चों और पोतों के लिए एक मजबूत मसीही उदाहरण के रूप में जीने का साहस प्रदान करें। सबसे बढ़कर, उन लोगों को प्रभावित कर सकूँ, जो आपके लिए जीने में मेरी आनंद को देखते हैं। यीशु के नाम से मैं प्रार्थना करता हुँ | आमीन !

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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