आज के वचन पर आत्मचिंतन...

पौलुस के दिनों में जिस समय सभी प्रचारक अपने नाम कमाने में व्यस्थ थे, पौलुस ने नाम बनाने की इस प्रतियोगिता की सर्वाधिक प्रभावशाली चेला कौन है यीशू का में हिस्सा लेने से इंकार किया। जबकि उसके पास धार्मिक शिक्षा थी और अपने प्रतिद्धवंदियो को चुप कराने के लिए वो यहूदी वंशावली से भी था, इसके बजाए उसने अपने कमजोर क्षेत्रो को स्वीकार करना पसंद किया जिन पर परमेश्वर द्वारा उसने विजय प्राप्त किया जो उसकी हद के बहार था। आओ आज जब हम किसी की योग्यताओ के आधार पर सेवकाई-मूल्य को तय करते है या जचते है तो सतर्कता के साथ करे। इसके बजाये आओ ऐसे लोगो को खोजे जिनके जीवन में परमेश्वर का अनुग्रह विजयी हुआ है।

मेरी प्रार्थना...

सर्वशक्तिमान और प्यारे पिता, जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था की अपने मुझे बनाये रखा और मुझे अवसर दिए की मैं आपकी सेवा कर सकु इसलिए मैं आपका धन्यवाद् करता हूँ। कृपया मेरी सहायता करे की मैं आपकी सेवा कर सकू आपके अनुग्रह पर निर्भर हो कर। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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