आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जीवन उतर और चढ़ाव से भरा हुआ है। जो बहुत कुछ हम प्रिय जानकर थामे रहते है वह मृत्यु, आपदा, या सड़ने के द्वारा प्रभावित हो सकता है । क्या है हमारे पास जो निश्चिंत है? कौन है जिसके पास हम आश्वासन के लिए जा सकते है? अच्छे और बुरे समायो में विजयी जीवन जेने के हम कहाँ से समर्थ पाएंगे? प्रभु में जो हमे बल देता है!

मेरी प्रार्थना...

ओ प्रभु परमेश्वर, सब कुछ के रचने वाले पिता, मैं इस बात को मानता हूँ की मेरा जीवन और जिन परिस्तिथियों में जीवन जीने की कोशिश करता हूँ मेरे नियंत्रण करने की योग्यता से ऊप्पर है। मैं आपका धन्यवादी हूँ की आप हाजिर होते हो मुझे दिलासा देने के लिए,रक्षा करने के लिए, दिशा दिखने के लिए और सामर्थ देने के लिए उन परिस्तिथियों का सामना करने के लिए सहास और ढाढ़स देते हो । क्युकी आप मेरे साथ हो ओ प्रेमी चरवाहे,मैं जनता हूँ की उस दिन तक जब तक मैं आपके साथ महिमा में सहभागिता न करू मेरे पास वह सब कुछ होगा जो मुझे एक विजयी जीवन जीने के लिए आवश्यक है। येशु के नाम से । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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