आज के वचन पर आत्मचिंतन...

परमेश्वर ने सुलैमान से कहा की मंदिर वह जगह होगी जहा पर उसके लोग आएंगे और निश्चिंत होंगे की उनकी प्रार्थना सुनी भी जाएगी यदि वे ईमानदारी से और नम्र हो कर परमेश्वर की खोज करे : यह वाचा आज भी लागु है जबकि उसका वास्तविक मंदिर अब खड़ा नहीं है , उसका आत्मिक मंदिर उसके लोगो की संगती में पाया जाता है (१ कुरु ३:१६ , मत्ती १८:२० ) । क्या ही महान आशीष और क्या ही समर्थपूर्ण भेट हमारे लिए है आज ! हम जानते है की जब हम विश्वासियों की संगति करते है और अपने आप को नम्र करके उसकी उपस्तिथि की खोज करते है वह हमारी सुनता है । बाजए किसी दुनियाई दिखावटी कोशिश की शुरवात के , क्यों न हम दैनिक तौर पर दुसरो के साथ इकठा हो जो प्रार्थनामय कोशिशों में हमारे साथ जुड़े ?

Thoughts on Today's Verse...

God told Solomon that the Temple would be a place his people could come and be assured that their prayers would be heard if they honestly and humbly would seek God. This promise is true still, to this very day, for while God's physical Temple isn't standing, his spiritual one is found in the gathering of his people (1 Corinthians 3:16; Matthew 18:20). What a great blessing and what a powerful gift for us today! We know that when we gather with believers and humble ourselves before God and seek his presence he will hear us. Rather than wait for a grandiose, world-wide effort to start, why not get together regularly with others who will join us in this prayer effort?

मेरी प्रार्थना...

प्यारे पिता, उत्सुकता से मैं आपकी उपस्तिथि को खोजता हूँ। कृपया मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा करे । कृपया मुझे मेरे समय में प्रभावित होने के लिए इस्तेमाल कर । सर्वअधिक , पिता , कृपया हमारे बिच चल फिर की हमारे समय, हमारे लोग , और हमारे देश में बेदारी और चनगाई आ सके । हमे अधिक रूप से अगुवाई, आशीष और चरित्र चाइये हमारे सरकार और हमारे लोगो में । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ ।अमिन ।

My Prayer...

Loving Father, earnestly I seek your presence now. Please forgive me for my sin. Please use me to be an influence for good in my time. Most of all, Father, please move to bring revival and healing to our time, our people, and our land. We desperately need your guidance, blessing, and character in our government and among our people. In Jesus' name I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of २ इतिहास ७:१४

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