आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यीशु कभी नहीं चहता था कि हमें हमारे धर्मी विशिष्टता को छोडने के लिए,या हमारे छुटकारे के प्रभाव को,और न ही हमारे आसपास के लोगों पर पड़ने वाले प्यार के प्रभाव को।दुनिया में हमारी उपस्तिथी के उदेष्य,हमारी संस्कृति को सडने से रक्षा करना है और कड़वा को रुची देना है,कुत्ते को कुत्ता खाने वाली दुनिया में,अनुग्रह और दया के साथ जिना है।

मेरी प्रार्थना...

प्रिय पवित्र और तेजस्वी प्रभु,कृपया मुझे मेरी संस्कृति के अनुसार चालने से विरोध करने में मदद किजीये। इसके बजाय,प्रिय पिता,मेरी विशिष्टता का उपयोग करें कि एक मसीह हो कर दूसरों को आशीश देने और प्रभाव करने और अपने राज्य के प्रभाव का विस्तार करने में सहायता किजीये।यीशु के नाम से प्रार्थना मंगता हूँ.अमीन.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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